स्वयं ऐसे करें श्रीयंत्र को सिद्ध

स्वयं ऐसे करें श्रीयंत्र को सिद्ध



वैसे तो श्रीयंत्र की सिद्धी इतनी लंबी और कठिन है कि शायद 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय कम पड़ जाए लेकिन इसे लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। अच्छा होगा कि आप खुद ही श्रीयंत्र की सिद्धी करें। इससे आप व्यावसायिक धोखे से भी बचेंगे और आपको खुद सिद्धी करने का आत्मसंतोष भी मिलेगा।


सर्वप्रथम अपनी श्रद्धानुसार चाँदी, ताँबा या स्फटिक का यंत्र ले आएँ। नवरात्रि इसकी सिद्धी का श्रेष्ठ समय माना जाता है लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं कि सामान्य दिनों में भी इसकी सिद्दी की जा सकती है। इसके लिए स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल की ढेरी बनाएँ फिर एक थाली पर अष्टगंध से अष्टदल बनाकर उस पर यंत्र स्थापित करेँ। अब यंत्र को गँगाजल तथा पँचाम्रत से स्नान कराते हुए इस मंत्र
“ऐँ ह्रीँ श्री महालक्ष्मयै नमः” का 108 जप करेँ और फिर शुद्ध जल से स्नान करा कर चावल की ढेरी पर स्थापित करेँ।


यंत्र के दांई ओर श्री गणेश व बांई ओर भगवान विष्णु का प्रतिमा या चित्र रख आह्वान व पूजन करेँ।
यंत्र की शोडषोपचार या पंचोपचार पूजा करेँ, कमल, लाल कनेर, गुलाब, अनार के फूल, नारियल, बेलपत्र एवं बेल फल, नैवेद्य अर्पित करें और 51 या 108 बार श्रीसूक्त का पाठ निम्न मंत्र से सम्पुट करते हुए करें “ऊँ श्रीँ हीँ श्रीँ कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीँ हीँ श्रीँ ऊँ महालक्ष्मयै नम:।