शाहीनबाग पर मध्यस्थता: माननीय दादियाँ बहुत ज़िद्दी हैं
मोहम्मद जाहिद
उच्चतम न्यायालय ने जिन तीन लोगों को "शाहीनबाग" को कहीं और शिफ्ट करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है वह हैं , संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्ला।
ध्यान दीजिए कि यह लोग "सीएए , एनआरसी और एनपीआर" को लेकर सरकार से मध्यस्थता नहीं करेंगे बल्कि उनका उद्देश केवल "शाहीनबाग" को खाली कराना है।
पहले तो जान लीजिए कि यह लोग कौन हैं ?
संजय हेगड़े उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील हैं , यह आसाम में "राष्ट्रीय नागरिकता सूची" से निकाले गए लोगों , मॉब लिंचिंग के मामलों और मुंबई के आरे जंगल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में पेश हो चुके हैं। संजय हेगड़े को सरकार विरोधी आंदोलनकारियों का प्रिय माना जाता है।
भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त रहे "वजाहत हबीबुल्ला" राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। तमाम पदों पर रहने के इलावा "संशोधित नागरिकता कानून" (CAA) की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियों का उल्लेख करते हुए 106 पूर्व नौकरशाहों द्वारा जो पत्र लिखा गया उसमें एक नाम इनका भी था।
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील "साधना रामचंद्रन" दिल्ली हाईकोर्ट समाधान में मध्यस्थता विभाग की सचिव रह चुकी हैं। मध्यस्थ तो उच्चतम न्यायालय ने बढ़ियाँ चुना है बस उसे यह आदेश भी दे देना था कि यही मध्यस्थ CAA को लेकर सरकार से भी बात करे। जो कि न्यायालय ना कर सकी , दादियाँ बहुत ज़िद्दी हैं माननीय जी