केन्द्र के गेंहू न लेने से अटका किसानों का करोड़ो रुपए का बोनस
भोपाल । प्रदेश के किसानों को गेहूं पर मिलने वाले बोनस पर गृहण लगना तय माना जा रहा है। इसकी वजह है केन्द्र सरकार द्वारा सेन्द्रल पूल के तहत गेंहू का उठाव करने से इंकार कर देना। इसके चलते प्रदेश के किसानों को को मिलने वाले बोनस के 160 रुपये प्रति क्विंटल की राशि का नुकसान होना तय है। हालांकि प्रदेश सरकार लंबे समय से तमाम प्रयास कर रही है इसके बाद भी केन्द्र सरकार अब तक सात लाख मीट्रिक टन गेहूं सेंट्रल पूल में लेने को तैयार नहीं है। यह हालात तब है जब राज्य की कमलनाथ सरकार ने किसानों को बोनस देने के लिए बजट में 1462 करोड़ का प्रावधान किया हुआ है। इसके बाद भी वह उक्त राशि का भुगतान नहीं कर पा रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पांच मार्च 2019 को किसानों को 160 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देने की योजना लागू की थी। इसमें उपार्जन केंद्रों के साथ मंडी में उपज बेचने वाले किसान भी शामिल किए गए। बजट में सरकार ने 1462 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया। खरीदी बंद होने पर केंद्र सरकार ने सेंट्रल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जरूरत से ज्यादा गेहूं लेने से इनकार कर दिया। जबकि, उसके साथ 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं सेंट्रल पूल में लेने पर सहमति बनी थी। केंद्र सरकार ने तर्क दिया गया कि केंद्र और राज्य के बीच 2016 में अनुबंध हुआ था कि विकेंद्रीकृत उपार्जन व्यवस्था में बोनस नहीं दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने जय किसान समृद्घि योजना में जो प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान रखा है वो बोनस ही है और इस तरह के कदम से बाजार प्रभावित होता है। सरकार की कोशिशों के बाद 67 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्र ने लेने पर सहमति जता दी लेकिन सात लाख मीट्रिक टन सेंट्रल पूल में लेने को तैयार नही है। खाद्य अधिकारियों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार यह गेहूं नहीं लेती है तो राज्य सरकार पर करीब छह सौ करोड़ का भार आ जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अब प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वह बोनस की राशि का फिलहाल भुगतान कर सके।
हमने तो बजट प्रावधान करके रखा है: यादव
कृषि मंत्री सचिन यादव का कहना है कि प्रदेश सरकार ने बजट में प्रोत्साहन राशि का प्रावधान करके रखा है। केंद्र सरकार सेंट्रल पूल में सात लाख मीट्रिक टन गेहूं लेने सहमति नहीं दे रही है। जबकि, बीते सालों में किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाती रही है। वर्ष 2020-21 के लिए गेहूं खरीदी की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़े, यह देखना भी सरकार की जिम्मेदारी है क्योंकि हर साल सरकारी खरीदी के माध्यम से बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज बेचते हैं। 73 लाख मीट्रिक टन किया था उपार्जन प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 73 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की। मंडियों का गेहूं भी मिला लिया जाए तो 11.79 लाख किसानों से कुल गेहूं की खरीद 92 लाख 67 हजार मीट्रिक टन हुई। सरकार ने पांच मार्च 2019 को जय किसान समृद्घि के नाम से योजना लागू की। इसमें 160 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं पर प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया।